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लेखक:

खुर्शीद आलम

ज्ञान सिंह ’शातिर’ का जन्म होशियारपुर (पंजाब) के डडियाना कला गाँव में 1936 में हुआ। आप मैकेनिकल इंजीनियर हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन में आपने फ़ार्मास्यूटिकल इंजीनियर के रूप में तीन वर्षों तक काम किया है। आपने 1960 से लिखना प्रारम्भ किया। आपका एक कविता-संग्रह चाँद और रोटी भी प्रकाशित है। आप साहित्य अकादेमी पुरस्कार 1998 से सम्मानित हो चुके हैं।

आत्मकथापरक प्रस्तुत उपन्यास में चुनौतीपूर्ण जीवन को बेबाक ढंग से प्रस्तुत करते हुए लेखक ने कहीं भी अपने व्यक्तित्व से जुड़ी कमज़ोरियों और विकृतियों को नहीं छुपाया है। इन्हीं खूबियों ने इस कृति को बेहद पठनीय और आत्मीय बना दिया है।

इस उपन्यास के अनुवादक डॉ. खुर्शीद आलम उर्दू साहित्य में एम.ए., पी-एच.डी. हैं। हिन्दी पर भी उनका समान अधिकार है और वे उर्दू में कहानियाँ लिखते हैं। इनके अनुवाद विभिन्‍न भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त दूसरी विदेशी भाषाओं में भी हो चुके हैं। उर्दू को हिन्दी पाठकों तक पहुँचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे डॉ. आलम हिन्दी साहित्य की सेवा के लिए भारत सरकार के 'हिन्दीतर भाषी लेखक पुरस्कार’ से सम्मानित हैं। आप उर्दू अकादेमी द्वारा पुरस्कृत हैं, साथ ही उर्दू साहित्य सेवा के लिए ऑल इण्डिया मीर एकेडमी, लखनऊ द्वारा ‘इम्तियाज़-ए-मीर’ से सम्मानित भी।

ज्ञान सिंह शातिर

खुर्शीद आलम

मूल्य: Rs. 400

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